मिले जो विरासत में मुझको नगीने
मिले जो विरासत में मुझको नगीने।
ना बांटे ही कोई, न ही कोई छीने।।
दिए मां ने मुझको अनमोल मोती,
हृदय पेटिका रख सदा ही संजोती ,
सरलता सुघड़ता सजा घर के कोने।
मिले जो विरासत में मुझको नगीने।।
ना बांटे ही कोई न ही कोई छीने।।
पिता ने सिखाया था कुछ मर्म अपना,
परहित, दया , धैर्य ही धर्म रखना,
करुणा क्षमा सब तुम्हारे हों गहने ।
मिले जो विरासत में मुझको नगीने ।
ना बांटे ही कोई न ही कोई छीने।।
सपन हैं रंगीले, और बंधन सजीले,
राहें अगम हैं, और पथ हैं कंटीले,
विषमताओं के दुख पड़ेंगे भी सहने।
मिले जो विरासत में मुझको नगीने।।
ना बांटे ही कोई न ही कोई छीने।।
त्याग का मीठा परिणाम मिलता यहां,
प्यार मिश्री सा जीवन में घुलता जहां, प्रेम सरिता के झरने लगेगे जो बहने।
मिले जो विरासत में मुझको नगीने ।।
ना बांटे ही कोई न ही कोई छीने।।
विनीता गुप्ता छतरपुर मध्य प्रदेश स्वरचित मौलिक
Gunjan Kamal
03-Jun-2024 03:52 PM
👌🏻👏🏻
Reply
Mohammed urooj khan
15-May-2024 11:42 PM
👌🏾👌🏾👌🏾👌🏾
Reply
kashish
15-May-2024 08:30 PM
Very nice
Reply